गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी थीं। गाँव का हर कोना बच्चों की आवाज़ों से गूंज रहा था। रिया और उसका छोटा भाई मोहन भी शहर से छुट्टियाँ बिताने दादी माँ के घर आए थे। दोनों को गाँव का खुला आसमान, खेतों की हरियाली और दादी माँ की प्यारी कहानियाँ बहुत भाती थीं। ऐसी ही एक शाम, दादी माँ ने उन्हें एक खास (Short Story in Hindi) सुनाने का निश्चय किया।
हर सुबह दादी माँ उन्हें तालाब के किनारे लेकर जातीं और पेड़ों-पौधों, पक्षियों और प्रकृति के बारे में बतातीं। रिया उनकी बातें ध्यान से सुनती, लेकिन मोहन अक्सर खेल-कूद में लग जाता। दादी माँ जानती थीं कि बच्चे सबसे अच्छी बातें कहानियों से सीखते हैं। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न दोनों को एक ऐसी (Short Story in Hindi) सुनाई जाए, जो उनके जीवन में गहरी छाप छोड़ दे।
शाम को आँगन में नीम के पेड़ के नीचे चारपाई बिछी थी। ठंडी हवा बह रही थी। रिया और मोहन चारपाई पर बैठकर इंतज़ार करने लगे। दादी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा—
“आज मैं तुम्हें एक ऐसी कहानी सुनाऊँगी जो तुम्हें ज़िंदगी की सच्ची सीख देगी। यह एक अनोखी (Short Story in Hindi) है, ध्यान से सुनना।”
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में अर्जुन नाम का लड़का रहता था। अर्जुन मेहनती तो था, लेकिन उसमें एक बड़ी कमी थी—वह बहुत लालची था। उसे हमेशा लगता कि उसके पास सबसे ज्यादा खिलौने और सबसे अच्छी चीज़ें होनी चाहिए। यह कहानी भी तुम्हें दिखाएगी कि लालच का अंजाम क्या होता है, क्योंकि यही इस (Short Story in Hindi) का संदेश है।
गाँव में अक्सर एक साधु महाराज आते थे। अर्जुन उनके पास जाकर बोला—
“महाराज! मुझे ऐसा जादू सिखाइए कि मेरे पास हमेशा सब कुछ दूसरों से ज्यादा रहे।”
साधु ने मुस्कुराकर कहा—
“बेटा, लालच करने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता। असली जादू बाँटने में है।”
लेकिन अर्जुन ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। उसने सोचा कि साधु मुझे कोई बड़ा राज़ बताना ही नहीं चाहते। इसी मोड़ पर यह (Short Story in Hindi) और भी रोचक हो जाती है।
एक दिन गाँव में एक व्यापारी ढेर सारे खिलौने और मिठाइयाँ लेकर आया। अर्जुन की आँखें चमक उठीं। उसने पिता से ज़िद करके ढेर सारे खिलौने खरीद लिए। लेकिन जब उसके दोस्त खेलने आए तो उसने कहा—
“ये मेरे खिलौने हैं, मैं किसी को नहीं दूँगा।”
धीरे-धीरे सब बच्चे उससे दूर हो गए। उसके पास खिलौनों का ढेर था, लेकिन कोई दोस्त नहीं। अकेलेपन ने उसका मन दुखी कर दिया। यही वह पल था जिसने इस (Short Story in Hindi) को एक नई दिशा दी।
कुछ दिनों बाद साधु महाराज फिर गाँव आए। अर्जुन रोते हुए उनके पास पहुँचा और बोला—
“महाराज! मेरे पास सब कुछ है, फिर भी मैं खुश नहीं हूँ। सब मुझसे दूर क्यों हो गए?”
साधु ने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा—
“खुशी बाँटने से बढ़ती है। अगर तुम अपने खिलौने और मिठाइयाँ दूसरों के साथ साझा करोगे तो सब तुम्हारे दोस्त बन जाएँगे। लालच छोड़ दो और बाँटना सीखो।”
अर्जुन ने उनकी बातों पर अमल किया। अगले दिन उसने अपने खिलौने और मिठाइयाँ गाँव के बच्चों के साथ बाँट दीं। देखते ही देखते सब बच्चे उसके दोस्त बन गए। उनके हँसी-खुशी के खेल से पूरा गाँव गूंज उठा। अर्जुन ने समझ लिया कि असली खुशी दूसरों के साथ बाँटने में है, अपने पास रखने में नहीं। यह पल इस (Short Story in Hindi) का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था।
कहानी सुनकर रिया और मोहन दोनों चुप हो गए। रिया बोली—
“दादी माँ, अब समझ में आया कि लालच हमें अकेला कर देता है।”
मोहन ने सिर हिलाकर कहा—
“हाँ दादी, अब मैं अपने खिलौने दोस्तों से कभी नहीं छुपाऊँगा।”
दादी माँ ने उन्हें प्यार से गले लगाते हुए कहा—
“बिलकुल सही, बच्चों। यही इस (Short Story in Hindi) की सीख है कि जो दूसरों के साथ बाँटता है, वही असली सुख पाता है।”
उस रात दोनों भाई-बहन ने तय किया कि वे कभी लालच नहीं करेंगे और हमेशा दूसरों के साथ बाँटेंगे। दादी माँ की यह प्यारी (Short Story in Hindi) उनके दिल में हमेशा के लिए अमर हो गई।https://chalaklomdi.wordpress.com/
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