Sunday, July 13, 2025

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मध्य पूर्व संकट से Oil Prices आसमान पर, एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट

मध्य पूर्व संकट के चलते कच्चे तेल की कीमतों (Oil Prices) में उछाल आया है, जिससे एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। जानिए इस संकट का भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है।

परिचय

दुनिया की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से इतनी गहराई से जुड़ी हुई है कि एक क्षेत्र में हुआ उथल-पुथल, दूर-दराज़ के देशों की अर्थव्यवस्था को भी हिला सकता है। हाल ही में मध्य पूर्व (Middle East) में पैदा हुए संकट ने एक बार फिर ये बात साबित कर दी है। जैसे ही वहां तनाव बढ़ा, कच्चे तेल की कीमतों (Oil Prices) में तेजी आई, जिससे एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली।

तेल एक ऐसा संसाधन है जिसकी मांग हर देश में है, और जब आपूर्ति को लेकर आशंका हो तो कीमतें बढ़ना तय होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे मध्य पूर्व में उपजा यह संकट पूरी दुनिया के आर्थिक समीकरणों को प्रभावित कर रहा है।

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मध्य पूर्व संकट क्या है?

मध्य पूर्व लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और संघर्षों का केंद्र रहा है। इज़राइल और हमास के बीच हालिया झड़पें, ईरान और अमेरिका के संबंधों में तल्ख़ी, और यमन के हूती विद्रोहियों की गतिविधियां क्षेत्र में तनाव बढ़ा रही हैं। यह इलाका तेल उत्पादन का सबसे अहम केंद्र है — सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत जैसे देश यहीं हैं।

संकट की स्थिति में तेल टैंकरों की आवाजाही बाधित हो सकती है। जैसे ही वैश्विक बाजार को यह डर सताता है कि तेल की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगता है और तेल की कीमतें चढ़ने लगती हैं।

Oil Prices क्यों बढ़ रहे हैं?

  1. तेल आपूर्ति में बाधा की आशंका
    संकट की स्थिति में तेल का उत्पादन और परिवहन प्रभावित हो सकता है। रेड सी और स्ट्रेट ऑफ होरमुज़ जैसे रास्ते खतरे में पड़ते हैं, जिससे ट्रेडिंग कंपनियों में घबराहट फैलती है।
  2. OPEC देशों की भूमिका
    OPEC+ देश पहले से ही तेल उत्पादन में कटौती कर रहे हैं। जब मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होती है, तो कीमतें अपने आप बढ़ जाती हैं।
  3. भविष्य की अनिश्चितता
    व्यापारी और निवेशक अक्सर भविष्य की कीमतों को लेकर अनुमान लगाते हैं। जैसे ही संघर्ष की संभावना दिखती है, वे अधिक दामों पर तेल खरीदने लगते हैं, जिससे वास्तविक बाजार मूल्य और ऊपर चला जाता है।

एशियाई शेयर बाजारों में क्यों आई गिरावट?

तेल के दाम केवल ईंधन को महंगा नहीं करते, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। एशियाई बाजार — जैसे भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया — इस संकट के कारण गहरे दबाव में हैं।

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प्रमुख कारण:

  1. मुद्रास्फीति की बढ़ती संभावना
    जब तेल महंगा होता है तो ट्रांसपोर्ट, बिजली और अन्य सेवाओं की लागत बढ़ती है। इससे महंगाई (inflation) बढ़ती है और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति घटती है।
  2. कंपनियों की लागत बढ़ना
    उत्पादन, लॉजिस्टिक्स और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट की लागत बढ़ती है, जिससे कंपनियों के लाभ घटते हैं और उनके शेयर गिरते हैं।
  3. निवेशकों की मनोस्थिति
    निवेशक जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता देखते हैं, तो वे रिस्क लेना कम कर देते हैं। इससे भारी बिकवाली होती है, जिससे शेयर बाजारों में गिरावट आती है।

भारत पर इसका क्या असर पड़ता है?

भारत अपनी तेल ज़रूरतों का करीब 85% आयात करता है। ऐसे में तेल की वैश्विक कीमतों में हर उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारत पर पड़ता है।

  1. रुपये की कमजोरी
    अधिक डॉलर में भुगतान करने से भारतीय रुपया कमजोर होता है, जिससे आयात और भी महंगा हो जाता है।
  2. ईंधन की महंगाई
    पेट्रोल, डीजल, और गैस की कीमतों में तेजी आ जाती है, जिससे आम जनता की जेब पर असर पड़ता है।
  3. वित्तीय घाटा
    सरकार को सब्सिडी बढ़ानी पड़ सकती है, जिससे राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) बढ़ता है।
  4. शेयर बाजार में झटका
    सेंसेक्स और निफ्टी जैसे इंडेक्स पर असर पड़ता है, खासकर ऑटो, एयरलाइंस और तेल आधारित उद्योगों के शेयरों में भारी गिरावट आती है।

निवेशकों के लिए सलाह

इस तरह के संकट में घबराने की बजाय दीर्घकालिक सोच से काम लेना ज़रूरी होता है:

  • पोर्टफोलियो को विविध बनाएं
    सभी पैसे एक ही सेक्टर में न लगाएं। सोना, सरकारी बॉन्ड, और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों में संतुलन बनाएं।
  • रक्षात्मक स्टॉक्स पर ध्यान दें
    फार्मा, FMCG और पब्लिक सेक्टर कंपनियां ऐसे समय में तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
  • गोल्ड में निवेश करें
    अस्थिरता के दौर में सोना सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है।

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सरकार और RBI की भूमिका

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ऐसे समय में मौद्रिक नीति के ज़रिए महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश करता है। यदि तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंची बनी रहती हैं, तो रेपो रेट बढ़ाई जा सकती है।

सरकार टैक्स कम करके जनता को राहत देने की कोशिश कर सकती है, जैसा 2022 में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर किया गया था।

निष्कर्ष

“मध्य पूर्व संकट से Oil Prices आसमान पर, एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट” केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीति, ऊर्जा नीति और वित्तीय बाज़ार की गहराई को दर्शाता है। निवेशकों, सरकार और आम नागरिकों को मिलकर इस चुनौती से निपटने की रणनीति बनानी होगी।

इस संकट ने यह साबित कर दिया है कि एक क्षेत्रीय विवाद पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिरता को हिला सकता है। यही समय है समझदारी और दूरदर्शिता से निर्णय लेने का।https://www.amarujala.com/business/business-diary/report-west-asia-crisis-increases-crude-oil-prices

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