एक समय की बात है, एक धर्मात्मा और न्यायप्रिय (king) राजगढ़ नामक राज्य में राज करता था। उसकी प्रजा उसे बहुत प्यार करती थी, क्योंकि वह हमेशा सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चलता था। (king) का मानना था कि एक अच्छा शासक वही होता है जो अपनी प्रजा की भलाई के लिए हर संभव प्रयास करे। लेकिन (king) के मन में एक चिंता थी। वह चाहता था कि उसका उत्तराधिकारी भी उसी तरह न्यायप्रिय और धर्मात्मा हो। उसके दो पुत्र थे, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रहा था कि उनमें से कौन सही मायनों में राज्य की जिम्मेदारी संभालने के योग्य है।
एक दिन, (king) ने अपने (ministers) को बुलाया और कहा, “मैं अपने पुत्रों की (test) लेना चाहता हूं। मैं यह जानना चाहता हूं कि उनमें से कौन सही मायनों में इस राज्य का उत्तराधिकारी बनने के योग्य है।” (ministers) ने (king) की बात सुनी और उन्होंने एक योजना बनाई।
(king) ने अपने दोनों पुत्रों को बुलाया और कहा, “मेरे प्यारे पुत्रों, मैं तुम दोनों की एक (test) लेना चाहता हूं। यह (test) तुम्हारी बुद्धिमत्ता, न्यायप्रियता और धैर्य की होगी। जो भी इस (test) में सफल होगा, वही इस राज्य का अगला (king) बनेगा।”
दोनों पुत्रों ने (king) की बात सुनी और (test) देने के लिए तैयार हो गए। (king) ने उन्हें एक-एक सोने की (ring) दी और कहा, “इस (ring) को लेकर तुम दोनों को राज्य के बाहर जाना होगा। तुम्हें इस (ring) को ऐसे व्यक्ति को देना है जो सच्चाई और न्याय का प्रतीक हो। जो भी सही व्यक्ति को यह (ring) देगा, वही इस (test) में सफल होगा।”
दोनों पुत्रों ने (ring) ली और राज्य से बाहर निकल गए। बड़ा पुत्र, राजकुमार विक्रम (Vikram), एक बुद्धिमान और चालाक व्यक्ति था। उसने सोचा, “मैं इस (ring) को किसी ऐसे व्यक्ति को दूंगा जो मेरे लिए फायदेमंद हो।” वह एक धनी व्यापारी के पास गया और उसे (ring) दे दी। व्यापारी ने खुश होकर उसे बहुत सारा धन और उपहार दिए। (Vikram) ने सोचा कि उसने (test) पास कर ली है।
दूसरी ओर, छोटा पुत्र, राजकुमार अर्जुन (Arjun), एक सरल और न्यायप्रिय व्यक्ति था। उसने सोचा, “मैं इस (ring) को उस व्यक्ति को दूंगा जो सच्चाई और न्याय का प्रतीक हो।” वह गाँव-गाँव घूमता रहा, लेकिन उसे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो उसकी नजर में सही हो।
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एक दिन, (Arjun) एक गरीब (farmer) के घर पहुंचा। (farmer) ने उसे देखकर कहा, “राजकुमार, मेरे घर में आपका स्वागत है। मैं गरीब हूं, लेकिन मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं।” (Arjun) ने देखा कि (farmer) का परिवार बहुत गरीब था, लेकिन फिर भी वे खुश और संतुष्ट थे। (farmer) ने (Arjun) को अपने घर में ठहराया और उसे खाना खिलाया।
रात को, (Arjun) ने देखा कि (farmer) का छोटा बेटा बीमार था। (farmer) के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। (Arjun) ने सोचा, “यह (farmer) सच्चाई और न्याय का प्रतीक है। उसने मेरी सेवा की है, और अब मैं उसकी मदद करूंगा।” उसने (farmer) को सोने की (ring) दी और कहा, “इसे बेचकर अपने बेटे का इलाज करवाओ।”
(farmer) ने आंसू भरी आँखों से (Arjun) को धन्यवाद दिया। (Arjun) ने सोचा कि उसने सही व्यक्ति को (ring) दे दी है।
कुछ दिनों बाद, दोनों पुत्र राज्य वापस लौटे। (king) ने उनसे पूछा, “तुमने (ring) किसे दी?”
(Vikram) ने गर्व से कहा, “मैंने (ring) एक धनी व्यापारी को दी। उसने मुझे बहुत सारा धन और उपहार दिए।”
(king) ने (Arjun) से पूछा, “और तुमने (ring) किसे दी?”
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(Arjun) ने विनम्रता से कहा, “मैंने (ring) एक गरीब (farmer) को दी। उसका बेटा बीमार था, और उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। मैंने सोचा कि वह सच्चाई और न्याय का प्रतीक है।”
(king) ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम दोनों ने अच्छा किया, लेकिन मैं तुम्हें एक और (test) देना चाहता हूं।”
(king) ने दोनों पुत्रों को एक-एक थैली दी और कहा, “इस थैली में एक रहस्यमय वस्तु है। तुम्हें इसे लेकर एक सप्ताह तक राज्य में घूमना होगा। लेकिन ध्यान रखना, तुम्हें इस थैली को किसी को नहीं दिखाना है। जो भी इस थैली को खोलेगा, वह (test) में असफल हो जाएगा।”
दोनों पुत्रों ने थैली ली और राज्य में घूमने निकल गए। (Vikram) ने सोचा, “मैं इस थैली को कहीं छुपा दूंगा और आराम से घूमूंगा।” उसने थैली को एक पेड़ के नीचे दबा दिया और मस्ती करने लगा।
दूसरी ओर, (Arjun) ने थैली को अपने पास रखा और गाँव-गाँव घूमता रहा। उसने देखा कि लोगों को उसकी थैली के बारे में जिज्ञासा हो रही है, लेकिन उसने किसी को नहीं बताया।
एक दिन, (Arjun) एक बूढ़ी (woman) के घर पहुंचा। (woman) ने उसे देखकर कहा, “राजकुमार, मेरे घर में आपका स्वागत है। मैं बूढ़ी हूं, लेकिन मैं आपकी सेवा करना चाहती हूं।” (Arjun) ने देखा कि (woman) का घर बहुत गरीब था, लेकिन फिर भी वह खुश थी।
रात को, (Arjun) ने देखा कि (woman) भूखी थी। उसने सोचा, “मैं इस थैली को खोलकर देखूंगा कि इसमें क्या है। शायद इसमें कुछ खाने की चीज हो।” लेकिन फिर उसे (king) की चेतावनी याद आई। उसने थैली को नहीं खोला और (woman) को अपना खाना दे दिया।
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एक सप्ताह बाद, दोनों पुत्र राज्य वापस लौटे। (king) ने उनसे पूछा, “तुमने थैली को खोला या नहीं?”
(Vikram) ने कहा, “नहीं, मैंने थैली को एक पेड़ के नीचे दबा दिया था।”
(king) ने (Arjun) से पूछा, “और तुमने थैली को खोला या नहीं?”
(Arjun) ने कहा, “नहीं, मैंने थैली को नहीं खोला। लेकिन मैंने एक बूढ़ी (woman) की मदद की, जो भूखी थी।”
(king) ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम दोनों ने अच्छा किया, लेकिन मैं तुम्हें एक आखिरी (test) देना चाहता हूं।”
(king) ने दोनों पुत्रों को एक-एक चाबी दी और कहा, “इस चाबी से तुम्हें राज्य के पास एक रहस्यमय (door) खोलना है। जो भी इस (door) के रहस्य को समझेगा, वही इस राज्य का अगला (king) बनेगा।”
दोनों पुत्रों ने चाबी ली और राज्य के पास एक पुराने मंदिर में पहुंचे। वहां एक बड़ा (door) था। (Vikram) ने चाबी से (door) खोलने की कोशिश की, लेकिन (door) नहीं खुला।
(Arjun) ने देखा कि (door) के पास एक छोटा सा संदेश लिखा था, “सच्चाई और न्याय ही इस (door) को खोल सकते हैं।” (Arjun) ने सोचा, “शायद मुझे सच्चाई और न्याय के बारे में सोचना चाहिए।”
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उसने (door) के सामने खड़े होकर कहा, “मैं सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चलने का वादा करता हूं।”
तभी, (door) खुद ब खुद खुल गया। अंदर एक चमकदार (throne) था, और उस पर एक संदेश लिखा था, “जो सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चलता है, वही इस राज्य का असली उत्तराधिकारी है।”
(Arjun) ने (throne) पर बैठकर राज्य की जिम्मेदारी संभाली। (king) ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चलकर यह साबित कर दिया कि तुम इस राज्य के योग्य हो।”https://www.vedantu.com/stories/the-clever-king
और इस तरह, (Arjun) राजगढ़ का नया (king) बना, और उसने हमेशा सच्चाई और न्याय के साथ राज किया।