Monday, July 14, 2025

TRENDING POSTS

latest posts

HomeसमाचारHigh Cour: High Court का महत्वपूर्ण Decision: सास-ससुर की संपत्ति में बहू...

High Cour: High Court का महत्वपूर्ण Decision: सास-ससुर की संपत्ति में बहू का अधिकार

High Court का फैसला: महिलाओं को भारतीय कानून में संपत्ति से जुड़े कई अधिकार दिए गए हैं। जब एक महिला अपने माता-पिता के घर छोड़कर ससुराल आती है, तो उसे ऑटोमेटिक रूप से कुछ अधिकार मिलते हैं। लेकिन उसके पति या सास ससुर की अनुमित पर ही उसे संपत्ति से जुड़े कुछ अधिकार मिलते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या बहू सास-ससुर की संपत्ति पर दावा कर सकती है? हाई कोर्ट ने इस बारे में महत्वपूर्ण Decision दिया है।

HR Latest News, Digital Desk— कई बार देखा गया है कि सास-ससुर अपनी ही बहू से इतने परेशान होते हैं कि वे उसे साथ नहीं रखना चाहते या उसके साथ रहना नहीं चाहते। High Court इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
High Court ने झगड़ालू बहू से परेशान बुजुर्गों को बड़ी राहत दी है। अब बुजुर्ग को अपने बेटे और पत्नी के बीच होनेवाली दैनिक बहस सहनी नहीं होगी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्णय दिया है कि बुजुर्ग मां-बाप को बहू को घर से निकालने का अधिकार है, विशेष रूप से संपत्ति के अधिकार।

ये अधिकार सास-ससुर के पास हैं

High Court ने साफ कर दिया कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी भी बहू को संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं है। उसके ससुराल के बुजुर्गों, माता-पिता या पिता-पिता, उसे संपत्ति से बाहर कर सकते हैं। शांतिपूर्ण जीवन जीने के हकदार हैं सास-ससुर। उन्हें इससे कोई रोक नहीं सकता। ऐसी बहू को अपनी संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार बुजुर्गों को है।

वैकल्पिक आवास अधिनियम

निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक बहू की अपील पर हाईकोर्ट के जस्टिस ने सुनवाई की। इसमें बहू ने कहा कि उसे ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया गया है, अर्थात् पुत्री-भतीजा का अधिकार संपत्ति पर।

जस्टिस ने कहा कि संयुक्त परिवार के मामले में संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से निकाल सकते हैं। हां, याचिकाकर्ता को शादी जारी रहने तक वैकल्पिक आवास मिलना उचित होगा।

सास-ससुर की स्वीकृति आवश्यक

न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मामले में सास-ससुर लगभग 74 और 69 वर्ष के हैं। उन्हें खुशहाल जीवन जीने और बेटे-बहू के बीच वैवाहिक विवाद से बचने का अधिकार है। “मेरा मानना है कि चूंकि दोनों पक्षों के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं, ऐसे में जीवन के अंतिम पड़ाव पर बुजुर्ग सास-ससुर के लिए बहू के साथ रहना सही नहीं होगा,” उन्होंने कहा। घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 19(1)(AF) के तहत याचिकाकर्ता को कोई वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया जाएगा। जस्टिस ने बहू को अलग रहने का आदेश दिया।

अदालत ने निर्णय दिया कि ससुर द्वारा स्वअर्जित संपत्ति पर बहू को कोई अधिकार नहीं है। पति की अनुमति होने तक पत्नी को संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा।इससे पता चला कि जब तक किसी महिला का पति किसी संपत्ति पर अधिकार रखता है, तब तक उस महिला का कोई अधिकार नहीं हो सकता। विशेष रूप से ससुराल की संपत्ति (in-laws property) में

माता पिता भी अपने बेटे को छोड़ सकते हैं—

दिल्ली High Court ने कुछ समय पहले एक फैसले में कहा था कि बेटा माता-पिता के घर में रह सकता है, जब तक उनकी अनुमति है। वह अपने पिता की संपत्ति में रहने के लिए अपने कानूनी अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकता है।

ये तब होता है जब पिता ने अपनी संपत्ति (पिता की संपत्ति) खुद खरीदी हो। लेकिन पिता या दादा ने संपत्ति खरीदी हो तो ये कानून लागू नहीं होंगे। ये भी महत्वपूर्ण है कि बेटी का माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार समान हैhttps://navbharattimes.indiatimes.com/india/haq-ki-baat-rights-of-daughter-in-law-in-matrimonial-houses-laws-and-landmark-judgements/articleshow/92974967.cms

बहू का सास-ससुर की संपत्ति पर अधिकार

अब कानून सास-ससुर की संपत्ति में बहू के अधिकार पर क्या कहता है। बहू को सास-ससुर की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। महिला ना तो उनके जीवित रहते हैं और ना ही उनके देहांत के बाद संपत्ति का दावा कर सकती हैं। सास-ससुर की मृत्यु होने पर उनके पति को संपत्ति का अधिकार मिलता है।
लेकिन पहले पति और फिर सास-ससुर मर गए। ऐसी स्थिति में महिला संपत्ति का स्वामित्व रखती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि सास-ससुर ने वसीयत को किसी और व्यक्ति के नाम नहीं दिया हो। इतना ही नहीं, बेटा माता-पिता की अनुमति के बिना अपने घर में नहीं रह सकता। कानून का सहारा लेते हुए भी पुत्र उनके घर में रहने का दावा नहीं कर सकता

पति की मौत पर पत्नी का अधिकार

जब कोई व्यक्ति मर जाता है, तो संपत्ति की वसीयत लिखे बिना उसकी संपत्ति पर अधिकार के बारे में कानून स्पष्ट है। इस मामले में व्यक्ति की संपत्ति विधवा पत्नी और मां को मिलती है। लेकिन व्यक्ति ने वसीयत में किसी दूसरे को अधिकार नहीं दिया होना जरूरी है।

ये भी पढ़े : ₹1.79 लाख में लॉन्च हुआ New Royal Enfield Bullet 350 मिलिट्री सिल्वर वैरिएंट:बाइक में टैंक पर हेंडमैड सिल्वर पिनस्ट्रिप्स, जावा 42 और होंडा CB350

पत्नी को पति की संपत्ति पर कितना अधिकार है?

ज्यादातर लोगों का मानना है कि पत्नी का पति की संपत्ति पर पूरा हक होता है, लेकिन यह सच नहीं है। पत्नी के अलावा परिवार के सभी सदस्यों को इस संपत्ति पर अधिकार है। पति की कमाई से प्राप्त संपत्ति पर पत्नी, मां और बच्चों का भी अधिकार होता है। यदि किसी व्यक्ति ने अपनी वसीयत बनाई है, तो उसकी मौत के बाद उसकी संपत्ति उसके नॉमिनी को मिलती है। वह भी उसकी पत्नी हो सकती है, नॉमिनी। वहीं, अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत के मर जाता है, तो उसकी संपत्ति पत्नी, मां, बच्चे और अन्य लोगों में बराबर बाँट दी जाती है।

पत्नी का पति की पैतृक संपत्ति पर अधिकार

किसी महिला को अपने पति की मौत पर पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं है। पति की मृत्यु के बाद महिला को ससुराल से बाहर नहीं निकाला जा सकता। जबकि ससुराल वालों को महिला को सुरक्षा प्रदान करनी होती है कोर्ट ससुराल वालों की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। महिला के बच्चे पिता के हिस्से की पूरी संपत्ति पाते हैं। यदि एक विधवा महिला दूसरी शादी कर लेती है, तो उसे कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments