भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और लार्सेन एंड टुब्रो (L&T) ने मिलकर भारत का पहला इंडस्ट्री-मेड PSLV रॉकेट तैयार किया है। यह रॉकेट अगले साल की शुरुआत में अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा और इसका पहला मिशन ओशनसैट सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करना होगा। यह उपलब्धि न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष उद्योग में निजी कंपनियों की भागीदारी के लिए भी एक नया युग लेकर आ रही है। अब तक रॉकेट लॉन्च करने का काम केवल इसरो (ISRO) से जुड़ा था, लेकिन अब यह परंपरा बदलने वाली है।
स्वदेशी PSLV रॉकेट की तैयारी और महत्व
HAL और L&T द्वारा बनाया गया यह PSLV रॉकेट पूरी तरह से भारत में निर्मित है। इसे खासतौर पर ओशनसैट सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया है। L&T के वरिष्ठ अधिकारी ए.टी. रामचंदानी ने बताया कि रॉकेट के सभी मुख्य उपकरण तैयार हैं और डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगले साल हम इसे लॉन्च पैड पर देखेंगे। इस मिशन के सफल होने से भारत अंतरिक्ष उद्योग में अपने कदम और मजबूत करेगा। आने वाले समय में देश दो से तीन बड़े PSLV मिशन का गवाह बनेगा।
साल 2022 में इसरो ने HAL और L&T के साथ पांच PSLV-XL रॉकेट बनाने का समझौता किया था। यह समझौता इसरो की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत सरकारी संस्थान अब रूटीन रॉकेट निर्माण की जिम्मेदारी प्राइवेट इंडस्ट्री को सौंपना चाहती है। इस कदम से यह संदेश भी गया है कि अब भारत में अंतरिक्ष मिशन सिर्फ सरकारी संस्थाओं तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि निजी कंपनियों की भी भागीदारी बढ़ेगी। इसके पीछे इसरो का उद्देश्य यह है कि वह अब अपने समय और संसाधन नए मिशन, रिसर्च और उन्नत तकनीक पर केंद्रित कर सके।
प्राइवेट इंडस्ट्री की भूमिका और भविष्य
भारत में सैटेलाइट्स और रॉकेट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत की तकनीक की मांग बढ़ती जा रही है। HAL और L&T जैसे बड़े उद्योगों का अंतरिक्ष उद्योग में प्रवेश इस क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल रहा है। शुरुआती समय में इंडस्ट्री को रॉकेट के कुछ जटिल हिस्सों के निर्माण में दिक्कतें आईं, लेकिन इसरो ने तकनीकी मदद देकर उन्हें समाधान दिया।
इसरो ने छोटे रॉकेट SSLV की तकनीक भी HAL को सौंपी है, ताकि भविष्य में छोटे सैटेलाइट्स के लिए भारत अग्रणी बना रहे। यह कदम विशेष रूप से उन निजी कंपनियों के लिए लाभकारी है, जो छोटे और मीडियम सैटेलाइट्स की बढ़ती मांग को पूरा करना चाहती हैं। HAL और L&T के प्रयास से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय प्राइवेट सेक्टर अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो के सहयोग से सक्षम और आत्मनिर्भर बन सकता है।
PSLV रॉकेट और अंतरिक्ष उद्योग में नए अवसर
HAL और L&T द्वारा विकसित यह पहला इंडस्ट्री PSLV रॉकेट भविष्य में कई अन्य मिशनों के लिए भी तैयार रहेगा। जैसे-जैसे प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी, अंतरिक्ष उद्योग में प्रतिस्पर्धा और नवाचार भी बढ़ेंगे। इससे मिशनों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा और लागत भी कम होगी। आने वाले वर्षों में भारत से अंतरिक्ष में कई छोटे-बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च होने की उम्मीद है। विदेशी कंपनियों का भी भारत के प्राइवेट अंतरिक्ष उद्योग के साथ सहयोग बढ़ेगा, जिससे तकनीकी साझेदारी और वैश्विक पहचान मजबूत होगी।
यह PSLV रॉकेट सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत में प्राइवेट इंडस्ट्री भी अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में सफल हो सकती है। अगले साल जब यह PSLV रॉकेट ओशनसैट सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करेगा, तब यह भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीक और निजी उद्योग की क्षमता का प्रतीक बनेगा। इस मिशन की सफलता के साथ ही भारत के अंतरिक्ष उद्योग में नई संभावनाओं और अवसरों का मार्ग खुल जाएगा।https://www.msn.com/hi-in/news/other/isro6
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