गांव का नाम था “संवेदनपुर”। एक शांत, हरियाली से घिरा हुआ छोटा-सा गांव, जहां लोग एक-दूसरे की मदद करना अपना फर्ज समझते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, वैसा ही इंसानों का स्वभाव भी। अब यहां स्वार्थ और बेरुखी का साया मंडराने लगा था।(Daya Ki Shakti)(Moral story)
इस गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी – “सवित्री देवी”। सफेद बाल, झुकी हुई कमर, और आंखों में गहराई से भरी हुई ममता। पति के गुजरने के बाद उसने अपने इकलौते बेटे राजू को पाल-पोसकर बड़ा किया। पर शहर जाकर नौकरी पाने के बाद राजू ने मां से रिश्ता धीरे-धीरे तोड़ दिया। कई साल हो गए थे, सवित्री देवी ने बेटे की शक्ल तक नहीं देखी थी।(Daya Ki Shakti)(Moral story)
फिर भी वह रोज मंदिर जाती, भगवान से बेटे की सलामती की दुआ मांगती और जो थोड़ा-बहुत उगता, उससे गांव के गरीब बच्चों को खाना खिलाती। लोग उसे ‘पगली’ समझते, कहते – “जिसने अपने बेटे को पालकर बड़ा किया, वही आज अकेली घूम रही है, और फिर भी दूसरों की चिंता कर रही है।”
ये भी पढ़े:असफलता से सफलता तक(Asafalta Se Safalta Tak) (motivational story in hindi)
एक दिन गांव में एक अजनबी युवक आया – उम्र कोई 25-26 साल होगी। मैले कपड़े, घायल पांव और भूखा-प्यासा चेहरा। लोग उसे देखकर मुंह फेर लेते, कोई पास तक नहीं आया। लेकिन सवित्री देवी ने उसे देखा और बिना एक शब्द कहे अपने झोपड़े में ले आई। उसके पांव धोए, खाना खिलाया और रात को एक कोना दे दिया।
उस युवक का नाम था अर्जुन। वह एक कलाकार था, जो जिंदगी से हार चुका था। अपने परिवार को एक हादसे में खो चुका था और अब किसी उद्देश्य की तलाश में भटक रहा था। सवित्री देवी की ममता और दया (Dayalu Maa Ki Kahani) ने उसके टूटे हुए दिल में उम्मीद की रोशनी जगाई।(Daya Ki Shakti)(Moral story)
कुछ दिन बाद अर्जुन ने गांव के बच्चों को इकट्ठा करना शुरू किया और उन्हें नाटक सिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे बच्चों में आत्मविश्वास आया, गांव वाले इकट्ठे होने लगे, और संवेदनपुर की हवा फिर से खुशनुमा हो उठी। सवित्री देवी अर्जुन को बेटे जैसा मानने लगीं, और अर्जुन भी उन्हें मां की तरह सम्मान देता।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
ये भी पढ़े:कौआ और मटका (kauwa aur matka story)
एक दिन गांव में बड़ी कार आई। उसमें से एक अमीर इंसान उतरा – वही राजू, सवित्री देवी का बेटा। वह अब एक बड़ा उद्योगपति बन चुका था। उसे एक जमीन की जरूरत थी, और संयोग से वह जमीन उसकी मां की थी। वह गांव आया, पर मां को देखकर चौंक गया।(Daya Ki Shakti)(Moral story)
“मां… आप अभी भी जिंदा हैं?” – उसने नजरे झुकाकर कहा।
सवित्री देवी ने बिना क्रोध के जवाब दिया –
“हां बेटा, जिंदा हूं… लेकिन अब जिस जमीन की तुम्हें जरूरत है, वो मैंने गांव के बच्चों के स्कूल के लिए दान कर दी है।”
ये भी पढ़े:इमानदारी की ताकत(Imandari Ki Taaqat)
राजू को यह सुनकर गुस्सा आया, लेकिन अर्जुन सामने आ गया।(Daya Ki Shakti)(Moral story)
“आपकी मां ने सिर्फ मुझे नहीं, पूरे गांव को जीवन दिया है। आपने उन्हें छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने किसी को नहीं छोड़ा। ये है दयालुता की असली ताकत (Selfless Love Story) – जो बिना बदले के भी सब कुछ दे देती है।”
राजू की आंखें भर आईं। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने मां के चरणों में गिरकर माफी मांगी।
सवित्री देवी ने उसका माथा चूमा –
“बेटा, दया में शक्ति होती है (Twist Wali Kahani)… जो दिलों को जीत सकती है। तूने देर की, पर आ गया… यही बहुत है।”https://www.hindi-kahani.in/2025/03/mnahoos-vyakti-aur-tenaliram-ki-kahani.html
समाप्त