प्राचीन काल में एक समृद्ध राज्य था, जहाँ का शासक राजा विक्रम बहुत ही शक्तिशाली और धनवान था। उसके खजाने भरे हुए थे, महल सोने-चांदी से जड़े थे और उसके पास विशाल सेना थी। परंतु फिर भी उसके चेहरे पर कभी सच्ची मुस्कान नहीं आती थी। उसका मन हमेशा और अधिक पाने की लालसा में डूबा रहता था। (greed consequences)
राजा दिन-रात सोने और संपत्ति के बारे में सोचता रहता। वह अपने मंत्रियों से कहता, “मेरे पास बहुत कुछ है, लेकिन दिल को सुकून नहीं। ऐसा कोई उपाय बताओ जिससे मैं अमर हो जाऊं और जीवन भर आनंद में रहूं।” (greedy king story)
उसके इस विचित्र आदेश को सुनकर पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। राजाज्ञा के अनुसार, हर दिशा में यह प्रचारित कर दिया गया कि जो भी व्यक्ति राजा को अमरता या असीम सुख का रहस्य बताएगा, उसे भारी इनाम दिया जाएगा।
कई साधु-संत, ज्योतिषी और तांत्रिक दरबार में आए लेकिन किसी की बात राजा के मन को न भायी। एक दिन राज्य की सीमा के पास एक वृद्ध संत (saint story in hindi) ठहरे। उन्होंने किसी प्रकार का आडंबर नहीं किया, बस एक पेड़ के नीचे चुपचाप बैठ गए। उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी कि राहगीर सहज ही उनके पास खिंचे चले आते थे।(Sant and Greedy King Story in Hindi)
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संत बड़े शांत स्वभाव के थे और उन्होंने जो बातें कहीं, वे लोगों के मन को छू गईं। वे कहते, “मन को शुद्ध करो, तभी सच्चा सुख मिलेगा। दौलत से तृप्ति नहीं मिलती, तृप्ति मन की अवस्था है।” (spiritual wisdom)
यह बात राजा तक पहुंची। वह स्वयं संत से मिलने गया और बड़े आदर से बोला, “हे महात्मा, मुझे ऐसा मार्ग दिखाइए जिससे मैं अमरता और अंतहीन आनंद प्राप्त कर सकूं।” (Indian moral story)
संत ने राजा को गंभीरता से देखा और बोले, “राजन, तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मैं दूंगा, लेकिन पहले तुम्हें एक छोटी सी साधना करनी होगी। सात दिन तक तुम्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह रहना होगा—बिना किसी राजसी ठाठ के। यदि तुम यह कर सको, तब मैं तुम्हें वह रहस्य बताऊँगा जिसे तुम खोज रहे हो।”
राजा कुछ समय तक चुप रहा। उसका अहंकार उसे रोक रहा था लेकिन [greed consequences] की ताकत उसे मजबूर कर रही थी। अंततः उसने शर्त स्वीकार कर ली।
अगले दिन राजा ने अपना शाही वस्त्र त्याग दिया और एक सामान्य ग्रामीण की वेशभूषा धारण कर एक छोटे गाँव में रहने लगा। उसे न तो स्वादिष्ट भोजन मिला, न आरामदायक शयन। वह दिनभर खेतों में मजदूरी करता और रात को एक झोपड़ी में सोता।
पहले दो दिन राजा को बहुत कठिन लगे। पेट आधा भरा रह जाता, शरीर थक जाता, और मन में बेचैनी बनी रहती। परंतु धीरे-धीरे वह लोगों की सादगी, आपसी प्रेम और संतोष को देखने लगा। वह देखता कि लोग थोड़े में भी खुश रहते हैं, जरूरतमंद की मदद करते हैं और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। (simple living high thinking)
एक वृद्ध महिला रोज उसे भोजन देती और कहती, “बेटा, धन तो आया-जाया करता है, लेकिन दिल की शांति बहुत दुर्लभ होती है।” ये शब्द राजा के मन को भीतर तक झकझोर देते।
सातवें दिन वह संत के पास गया। उसके चेहरे पर अब घमंड नहीं था, बल्कि विनम्रता और कृतज्ञता की झलक थी।(Sant and Greedy King Story in Hindi)
संत ने मुस्कराते हुए पूछा, “बोलो राजन, क्या अब भी तुम अमरता और सुख का रहस्य जानना चाहते हो?”
राजा ने श्रद्धा से कहा, “गुरुदेव, अब मुझे उत्तर मिल चुका है। सात दिन की यह साधना ही मेरे लिए सबसे बड़ा ज्ञान बन गई है। अब मैं जानता हूँ कि सच्चा सुख बाहरी वैभव में नहीं, बल्कि [spiritual wisdom] में है।”
संत ने सिर हिलाया और कहा, “राजन, यही तो वह रहस्य है। अमर वही होता है जिसकी यादें पीढ़ियों तक जीवित रहें। और वह तभी संभव है जब जीवन दूसरों की सेवा और [moral transformation of king] में समर्पित हो।”
राजा ने उनके चरणों में नमन किया और मन ही मन संकल्प लिया कि वह अब एक न्यायप्रिय, सेवा में समर्पित और त्यागी राजा बनेगा।
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राजा विक्रम जब महल लौटा, तो उसका हृदय पूरी तरह बदल चुका था। उसने तुरंत भारी कर कम कर दिए, गरीबों के लिए अन्न भंडार खोले और जरूरतमंदों के लिए चिकित्सा तथा शिक्षा की सुविधा शुरू की। उसने गांव-गांव में संतों के लिए आश्रम बनवाए और स्वयं सादा जीवन जीने लगा। (lesson of contentment)
प्रजा अब उसे ‘संत राजा’ कहने लगी। जो राजा कभी [greedy king story] का प्रतीक था, अब वह [spiritual wisdom] और सेवा का उदाहरण बन गया।
राजा की कथा अब बच्चों को सुनाई जाती थी ताकि वे समझ सकें कि लालच अंततः दुख लाता है, और [संत की सीख] ही जीवन को अमर बना सकती है।
इस [Sant and Greedy King Story in Hindi] से हमें यह सीख मिलती है कि जब तक मन में लालच और अहंकार है, तब तक सच्चा सुख नहीं मिल सकता। संतोष और सेवा ही मानव जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है।https://hindikahani.in/badhdhiman-khargos-ki-kahani/