एक समय की बात है, ऊँचे पेड़ों और हरे-भरे खेतों से घिरे एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक गरीब लेकिन मेहनती लकड़हारा रहता था। उसका जीवन बेहद साधारण था, लेकिन उसकी ईमानदारी (Honest Woodcutter) की मिसाल पूरे गांव में दी जाती थी।
हर दिन सुबह सूरज की पहली किरण के साथ, रामू अपनी कुल्हाड़ी कंधे पर टांगकर जंगल की ओर निकल पड़ता। वह वहां सूखी लकड़ियाँ काटता और उन्हें बेचकर जो पैसा मिलता, उसी से अपने परिवार का पेट भरता।
रामू के पास दौलत भले ही न थी, लेकिन उसका दिल सच्चाई और मेहनत से भरा था। वह हमेशा कहा करता, “ईमानदारी एक बीज है, जो वक्त आने पर बड़ा फल देता है।” (Power of Truth)
एक दिन जब सूरज अपनी तपिश बिखेर रहा था, रामू जंगल में काम करते-करते नदी किनारे पहुंचा। वहाँ ठंडी छाया थी और पानी की आवाज़ मन को शांति दे रही थी। उसने सोचा कि क्यों न यहीं कुछ लकड़ियाँ काटी जाएँ।
रामू ने जैसे ही कुल्हाड़ी से एक पेड़ पर पहला वार किया, उसका हाथ अचानक फिसल गया और कुल्हाड़ी सीधे नदी के भीतर गिर पड़ी। वह घबरा गया। कुल्हाड़ी उसकी आजीविका का एकमात्र साधन थी।
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रामू पानी में उतरकर उसे खोजने की कोशिश करने लगा, लेकिन नदी गहरी थी और कुल्हाड़ी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। थककर वह एक पत्थर पर बैठ गया और आंखें बंद करके प्रार्थना करने लगा, “हे प्रभु, मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। बस मेरी मदद करो।”
कुछ ही पलों में पानी में से एक दिव्य चमक निकली और एक देवी प्रकट हुईं। उनके हाथों में एक सुनहरी कुल्हाड़ी थी।
देवी ने मुस्कराकर पूछा, “क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है?”
रामू ने बिना झिझके जवाब दिया, “नहीं देवी, मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी। यह तो सोने की है।” (Honest Woodcutter)
फिर देवी दूसरी बार पानी में गईं और चांदी की कुल्हाड़ी लेकर लौटीं। उन्होंने वही सवाल दोहराया।
रामू ने फिर से सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं देवी, यह भी मेरी नहीं है।”
तीसरी बार जब देवी पानी से निकलीं, उनके हाथ में रामू की पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी थी।
रामू की आंखें खुशी से चमक उठीं। “हां देवी, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
देवी मुस्कराईं और बोलीं, “तुम्हारी सच्चाई और ईमानदारी (Power of Truth) ने मेरा दिल जीत लिया है। मैं तुम्हें ये तीनों कुल्हाड़ियाँ उपहार स्वरूप देती हूँ।”
रामू ने हाथ जोड़कर देवी का धन्यवाद किया और तीनों कुल्हाड़ियाँ लेकर घर लौटा। उसकी पत्नी सीता और बेटा चिंटू हैरान रह गए जब रामू ने उन्हें सारी बात बताई।
“पिताजी, अगर आप झूठ बोलते तो शायद आपको ये सब नहीं मिलता,” चिंटू ने मासूमियत से कहा।
रामू ने उसे गोद में लेते हुए कहा, “बिलकुल बेटा, सच हमेशा देर से जीतता है, लेकिन हारता कभी नहीं।” (Moral Story in Hindi)
इस घटना की खबर जंगल से भी तेज़ गति से पूरे गांव में फैल गई। सभी लोग रामू की तारीफ करने लगे और उसे एक आदर्श नागरिक मानने लगे।
लेकिन गांव में एक और लकड़हारा था—भीखा। वह स्वभाव से बहुत लालची और धूर्त था। रामू की किस्मत देखकर उसके मन में लालच आ गया।
“अगर रामू को ईमानदारी से तीन कुल्हाड़ियाँ मिलीं, तो मैं झूठ बोलकर कम से कम सोने की तो पा ही सकता हूँ,” उसने सोचा।
अगले ही दिन वह नदी के किनारे गया, अपनी कुल्हाड़ी जानबूझकर पानी में फेंकी और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “अरे मेरी कुल्हाड़ी डूब गई!”
कुछ समय बाद वही देवी प्रकट हुईं। उन्होंने सोने की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
भीखा ने मुस्कराते हुए झूठ बोला, “हां देवी, यही मेरी है।” (Truthfulness and Honesty)
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देवी की मुस्कान तुरंत गायब हो गई। उन्होंने गंभीर स्वर में कहा, “तू झूठा है। लालच में तूने सच्चाई को बेच दिया।”
इतना कहकर देवी गायब हो गईं। उसकी असली कुल्हाड़ी भी अब नदी में डूब चुकी थी।
भीखा सिर झुकाकर वापस लौटा। अब उसे अपनी बेईमानी पर पछतावा हो रहा था।
उधर रामू ने गांव के बच्चों को बुलाकर उन्हें पूरी कहानी सुनाई। उसने कहा, “बच्चों, यह घटना हमें सिखाती है कि ईमानदारी और सच्चाई का रास्ता भले ही कठिन हो, लेकिन अंत में वही सबसे सुंदर फल देता है।” (Inspirational Story)
रामू ने चांदी और सोने की कुल्हाड़ियों को बेचने के बजाय गांव के स्कूल को दान कर दिया ताकि गरीब बच्चों की पढ़ाई में मदद मिल सके।
उसकी पत्नी सीता ने गर्व से कहा, “तुम्हारी ईमानदारी ने हमें दौलत नहीं, इज़्ज़त दिलाई है।”
रामू मुस्कराकर बोला, “धन तो आता-जाता रहता है, लेकिन एक सच्चा नाम पीढ़ियों तक जिंदा रहता है।”
अब रामू केवल एक लकड़हारा नहीं था, वह गांव का आदर्श बन चुका था – एक ऐसा इंसान जिसने दिखाया कि ईमानदारी ही असली पूंजी है।
आज भी जब गांव में किसी बच्चे से पूछा जाता है कि उसका आदर्श कौन है, तो वह कहता है – “रामू चाचा – जो कभी झूठ नहीं बोले। https://hindikahani.in/the-mysterious-treasure-of-the-jungle-bachcho-ki-kahani/