नेपाल इन दिनों भारी राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक प्रदर्शनों(Violent protests in Nepal) से जूझ रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। इसी बीच एक बड़ी खबर आई है—पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी रबी लक्ष्मी चित्रकार की सेहत अब पहले से बेहतर है। हाल ही में प्रदर्शन के दौरान हुए एक हमले में उन्हें गंभीर रूप से जलने की चोटें आई थीं। उन्हें तुरंत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर लगातार उनका इलाज कर रहे हैं।
खनाल के निजी सचिव कृष्ण भट्टarai ने बताया कि “मैडम की हालत पहले से सुधर रही है और डॉक्टर उनकी देखभाल में जुटे हुए हैं।” इस जानकारी से उनके शुभचिंतकों और समर्थकों को थोड़ी राहत मिली है।
घटना उस समय हुई जब नेपाल में जनरेशन-ज़ी आंदोलन तेजी से हिंसक(Violent protests in Nepal) हो रहा था। बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह खनाल के घर के बाहर पहुंचा। कथित तौर पर उन्होंने रबी लक्ष्मी चित्रकार को जबरन अंदर धकेला और इसके बाद आग लगा दी। अचानक हुए इस हादसे ने पूरे नेपाल को झकझोर दिया।
स्थानीय लोगों और सुरक्षा कर्मियों की मदद से उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि शुरुआत में उनकी हालत नाजुक थी, लेकिन इलाज के बाद धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है।
इस आंदोलन की शुरुआत सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध से हुई। सरकार का कहना था कि सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें और भ्रामक खबरें समाज और देश की स्थिरता के लिए खतरनाक हैं। लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना।
युवाओं, खासकर जनरेशन-ज़ी वर्ग ने इस प्रतिबंध का जोरदार विरोध किया। देखते ही देखते यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया। पहले विरोध शांतिपूर्ण था, लेकिन कुछ ही दिनों में यह हिंसक हो गया और हालात काबू से बाहर हो गए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस आंदोलन में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। घायलों में पुलिस और आम नागरिक दोनों शामिल हैं।
भीड़ का गुस्सा इतना बढ़ा कि उन्होंने काठमांडू के कई अहम ठिकानों को निशाना बना दिया। सिंहदरबार (केंद्रीय प्रशासनिक भवन) और शीतल निवास (राष्ट्रपति भवन) को आग के हवाले कर दिया गया। यह नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर देने वाला कदम साबित हुआ।
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल सरकारी संस्थानों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने बड़े नेताओं के घरों पर भी हमला बोला।
यह घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि प्रदर्शनकारी केवल एक सरकार या नेता के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र से नाराज़ हैं।
लगातार बढ़ती हिंसा और दबाव के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। उनके सहयोगी प्रकाश सिलवाल ने इसकी पुष्टि की।
अपने इस्तीफे में ओली ने लिखा कि वह “देश में संकट के समाधान और राजनीतिक स्थिरता बहाल करने” के लिए यह कदम उठा रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि केवल इस्तीफा देने से हालात काबू में आना मुश्किल है, क्योंकि प्रदर्शनकारियों की नाराज़गी गहरी है।
नेपाल की युवा पीढ़ी, जिसे Gen-Z कहा जाता है, लंबे समय से बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है। युवाओं का मानना है कि लगातार सरकार बदलने, नेताओं की वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार ने देश को पीछे धकेल दिया है।
जब सरकार ने सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाई, तो यह युवाओं के लिए अंतिम सीमा साबित हुई। उनकी नज़र में सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि अपनी आवाज़ उठाने और विचार साझा करने का ज़रिया है। यही कारण है कि आंदोलन इतना व्यापक और तेज़ हो गया।(Violent protests in Nepal)
नेपाल इस समय जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें से कुछ बेहद गंभीर हैं:
पूर्व प्रधानमंत्री खनाल की पत्नी रबी लक्ष्मी चित्रकार पर हुआ हमला केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि हालात कितने खराब हो चुके हैं। अब देश के बड़े नेताओं के परिवार भी सुरक्षित नहीं हैं।
हालांकि, राहत की खबर यह है कि उनकी हालत धीरे-धीरे बेहतर हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोई नई जटिलता नहीं हुई तो आने वाले दिनों में उनकी तबीयत और सुधरेगी।
नेपाल की मौजूदा स्थिति बताती है कि केवल इस्तीफा या पुलिस कार्रवाई से हालात सामान्य नहीं होंगे। जरूरी है कि सरकार और आंदोलनकारी युवाओं के बीच संवाद की शुरुआत हो।
अगर यह बातचीत जल्द नहीं हुई तो यह आंदोलन और भी हिंसक(Violent protests in Nepal) हो सकता है, जिससे आम जनता की जान-माल को और ज्यादा खतरा होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं को भरोसे में लिए बिना नेपाल में स्थिरता लाना मुश्किल है।https://www.patrika.com/world-news/nepal-genz-protest-photos-of-protest
नेपाल एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां हिंसा और अस्थिरता(Violent protests in Nepal) ने देश को संकट में डाल दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी रबी लक्ष्मी चित्रकार की तबीयत में सुधार राहत की खबर है, लेकिन यह भी याद दिलाती है कि हालात कितने खतरनाक हो गए हैं।
जनरेशन-ज़ी आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि युवा अब चुप नहीं बैठेंगे। अगर नेपाल को सुरक्षित और स्थिर भविष्य चाहिए तो उसे युवाओं की आवाज़ सुननी होगी और वास्तविक सुधार करने होंगे।
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