बाल कहानियाँ

छोटू और जादुई पेंसिल – एक प्रेरणादायक कहानी (prernadayak hindi kahani)(jadui Pencil Story)

छोटू (chotu ki kahani), एक छोटे से गांव का होनहार और होशियार बच्चा था। उम्र करीब दस साल, पर सोच किसी बड़े आदमी जैसी। उसका असली नाम चेतन था, लेकिन गांव में सब उसे प्यार से छोटू ही बुलाते थे। उसका परिवार बहुत ही साधारण था। माँ गांव के घरों में काम करती थीं और पिता स्कूल में सफाई का काम संभालते थे। आर्थिक हालात ठीक नहीं थे, मगर छोटू की आंखों में सपनों की कोई कमी नहीं थी।(jadui Pencil Story)

उसे बचपन से ही चित्र बनाना बहुत पसंद था। वो मिट्टी पर लकड़ी की छड़ी से चित्र बनाता, दीवारों पर उंगलियों से आकृतियाँ उकेरता, लेकिन अफसोस, उसके पास न तो कागज था, न पेंसिल। उसका मन करता कि वो भी रंग-बिरंगी दुनिया बनाए, लेकिन गरीबी ने जैसे हर रास्ता बंद कर रखा था।

एक दिन स्कूल से लौटते हुए छोटू की मुलाकात एक बूढ़े बाबा से हुई। बाबा की दाढ़ी सफेद थी और आँखों में अजीब सी चमक। उन्होंने छोटू से मुस्कराते हुए कहा, “बेटा, तुम मेरी मदद करोगे?”

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छोटू (chotu ki kahani) ने झट से हामी भर दी। बाबा खुश होकर बोले, “तुम नेक दिल हो, इसलिए मैं तुम्हें एक खास चीज़ देता हूँ। ये लो, ये जादुई पेंसिल (jadui pencil) तुम्हारे हर सच्चे ख्वाब को हकीकत बना सकती है। मगर याद रहे, इसका इस्तेमाल सिर्फ भलाई के लिए करना। अगर इसका दुरुपयोग हुआ, तो ये हमेशा के लिए चली जाएगी।”

छोटू ने जैसे ही उस पेंसिल से अपने सपनों का छोटा-सा घर कागज पर बनाया, अगले दिन वही घर उसके आंगन में बना खड़ा था। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ। माँ-पिता भी हैरान थे। पर छोटू जान चुका था कि उसके हाथ कुछ खास लग गया है।

अब छोटू रोज उस पेंसिल से कुछ न कुछ बनाता। कॉपी, किताबें, स्कूल की ड्रेस – वो सब जो अब तक उसकी पहुंच से बाहर थे। लेकिन उसने पेंसिल का उपयोग कभी लालच में नहीं किया। अगर दोस्त के पास कुछ नहीं होता, तो वो उसके लिए भी कुछ बनाता।

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एक बार उसने अपने गरीब दोस्त राहुल के लिए एक नया बैग और जूते बनाए। अगले दिन स्कूल में बच्चे पूछने लगे, “तुम्हारे पास ये सब कैसे आया?” छोटू बस मुस्करा देता।

मगर हर जादू की परीक्षा होती है। गांव का लालची और अमीर आदमी बृजमोहन, जो दूसरों की चीज़ें हथियाने में माहिर था, छोटू की पेंसिल की ताकत जान गया। उसने छोटू को खूब पैसे देकर पेंसिल खरीदने की कोशिश की, लेकिन छोटू ने मना कर दिया।

एक रात बृजमोहन चुपके से छोटू के घर में घुसा और जादुई पेंसिल (jadui pencil) चुरा ली। मगर जैसे ही उसने उसे उठाया, उसकी उंगलियों में जलन होने लगी और पेंसिल उसके हाथ से फिसलकर गायब हो गई। छोटू को बाबा की बात याद आई – जादू का इस्तेमाल गलत मकसद से किया गया तो वो काम नहीं करता।

समय बीतता गया। छोटू (chotu ki kahani) अब गांव के बच्चों के लिए प्रेरणा बन गया था। उसकी दीवारों पर बनाई गई तस्वीरें गांव की शान बन गई थीं – स्वच्छता, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर आधारित उसकी कला सबका ध्यान खींचती थी।

फिर एक दिन गांव पर एक बड़ा संकट आया। महीनों बारिश नहीं हुई। न खेतों में पानी बचा था, न कुएं में। लोग परेशान थे, जानवर मरने लगे थे। छोटू ने सोचा, क्यों न पेंसिल से बादल बनाकर पानी बरसाया जाए?

उसने कागज़ पर घने काले बादल बनाए, मगर इस बार जादुई पेंसिल (jadui pencil) बेअसर थी। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। निराश होकर वह पास के जंगल में गया और बाबा को याद करने लगा। कुछ ही पलों में बाबा प्रकट हुए और बोले,
“बेटा, अब वक्त आ गया है कि तू अपने भीतर के विश्वास को पहचान। ये पेंसिल सिर्फ एक जरिया है, असली ताकत तुम्हारे संकल्प में है।”

छोटू समझ गया। उसने गांव के लोगों को एकजुट किया। बच्चों को सफाई के लिए, युवाओं को पौधे लगाने और पानी बचाने के लिए प्रेरित किया। सबने मिलकर मेहनत की, तालाबों की सफाई की और एक नया नाला खुदवाया। कुछ ही दिनों में आकाश में बादल घिर आए और पहली बारिश ने गांव में फिर से जान फूंक दी।अब छोटू (chotu ki kahani) ने पेंसिल को एक डिब्बी में बंद कर के रख दिया। वह जान चुका था कि मेहनत, एकता और विश्वास सबसे बड़ा जादू है।

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कुछ सालों में ही छोटू एक सफल चित्रकार बन गया। उसने अपने गांव में एक आर्ट स्कूल खोला जहां वो गरीब बच्चों को मुफ्त में चित्रकला सिखाता था। उसका सपना अब सैकड़ों बच्चों के सपनों को पंख दे रहा था।

आज भी उसकी पुरानी लकड़ी की डिब्बी में वो जादुई पेंसिल (jadui pencil) रखी है – एक याद के रूप में, एक प्रेरणा के रूप में।

✨ इस कहानी से सीख (prernadayak hindi kahani):

  • सच्चे इरादे और नेक नीयत से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।
  • जादू किसी चीज़ में नहीं, हमारे भीतर होता है – हमारे इरादों में।
  • और जब आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो पूरी कायनात आपके साथ चलती है।https://hindikahani.in/holi-ki-kahani-prem-aur-rango-ki-jadooi-kahani/
Jiya lal verma

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