भारत के सरकारी बैंकों को दुनिया के सबसे मजबूत और प्रभावशाली बैंकों की सूची में शामिल करने के लिए सरकार अब एक बहुत बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में कई बदलाव किए गए, लेकिन इस बार जो तैयारी की जा रही है, वह पहले हुए सभी सुधारों से कहीं ज्यादा बड़ी मानी जा रही है। सरकार के इस नए Mega Merger Plan का उद्देश्य छोटे-छोटे सरकारी बैंकों को मिलाकर कुछ बेहद विशाल और शक्तिशाली बैंक तैयार करना है, जो न केवल भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था का समर्थन करें, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी मज़बूत पहचान बना सकें।
रिपोर्टों के अनुसार इस Mega Merger Plan में कुछ छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाया जा सकता है। संभावित छोटे बैंकों में इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) जैसे नाम शामिल हैं। ये बैंक अपने स्तर पर तो अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन बड़े बैंकों के साथ जुड़ने पर इनकी क्षमता, पहुँच और संसाधन कई गुना बढ़ सकते हैं।
दूसरी ओर, जिन बड़े बैंकों में इनका विलय हो सकता है, उनमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) के नाम सामने आ रहे हैं। ये बैंक पहले से ही विशाल नेटवर्क, मजबूत ब्रांड और बड़े ग्राहक आधार के साथ काम कर रहे हैं। इनके साथ छोटे बैंकों का जुड़ना पूरे सरकारी बैंकिंग ढांचे को और ज्यादा प्रभावशाली बना देगा।
सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि सरकारी बैंकों की संख्या कम की जाए और कुछ बड़े, आधुनिक, तकनीकी रूप से मजबूत और विश्वस्तरीय बैंक बनाए जाएँ। आज के समय में निजी बैंक और फिनटेक कंपनियाँ काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकारी बैंकों के लिए एकजुट होकर मजबूत होना बेहद जरूरी हो गया है। इस Mega Merger Plan के आने से बड़े पैमाने पर लोन देने की क्षमता बढ़ेगी, बैंकिंग सिस्टम की लागत घटेगी, प्रशासनिक बोझ कम होगा और डिजिटल सेवाओं में गति आएगी।
बड़े बैंक बनने से वे देश की विकास योजनाओं, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, नई इंडस्ट्री और बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स को आसानी से फंड कर सकेंगे। छोटे बैंक अक्सर बड़े ऋण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते, लेकिन विलय होने पर उनकी बैलेंस शीट मजबूत होगी और उनकी आर्थिक स्थिति और भी विश्वसनीय बन जाएगी। इस तरह यह Mega Merger Plan बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा परिवर्तन साबित हो सकता है।
इस योजना पर अभी सरकार के अंदरूनी स्तर पर लगातार चर्चा हो रही है और किसी भी आधिकारिक घोषणा से पहले “चर्चा का रिकॉर्ड” तैयार किया जाएगा। यह एक ऐसा दस्तावेज़ होता है जिसमें किसी भी योजना से जुड़े हर पहलू, फायदे-नुकसान, अलग-अलग विभागों की राय और सभी विकल्पों का पूरा विवरण दर्ज किया जाता है। इसके बाद ही कोई प्रस्ताव कैबिनेट या प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुँचता है। इस Mega Merger Plan के लिए भी इसी तरह की विस्तृत प्रक्रिया अपनाई जाएगी ताकि आगे चलकर सभी निर्णय मजबूत आधार पर लिए जाएँ।
रिपोर्टें कहती हैं कि इस पूरे प्रस्ताव पर चर्चा 2027 तक चलने की संभावना है और सरकार चाहती है कि उसी वित्त वर्ष के भीतर इसका पूर्ण रोडमैप तैयार हो जाए। इसका मतलब यह है कि आने वाले वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब सरकार बैंकिंग क्षेत्र में मर्जर कर रही है। इससे पहले 2017 से 2020 के बीच सरकार ने सरकारी बैंकों का एक बड़ा पुनर्गठन किया था। उस समय 27 सरकारी बैंकों को धीरे-धीरे मिलाकर 12 बैंकों में बदल दिया गया था। इस अवधि में कई बड़े विलय किए गए थे, जैसे ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का PNB में विलय, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में मिलना, आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में जुड़ना और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय।
इन विलयों का उद्देश्य सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत करना, उनकी संचालन क्षमता बढ़ाना और आर्थिक जोखिमों को कम करना था। अब जो Mega Merger Plan तैयार किया जा रहा है, वह उसी प्रक्रिया का एक बड़ा और अधिक आधुनिक संस्करण माना जा रहा है।
अगर यह योजना लागू होती है तो भारत में तीन बहुत बड़े सरकारी बैंक बन सकते हैं, जिनकी ताकत वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डालेगी। बड़े बैंक देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, विशेषकर बड़ी परियोजनाओं और उद्योगों में फंडिंग के मामले में। इसके अलावा, बड़े बैंक प्राइवेट बैंकों और फिनटेक कंपनियों को प्रतिस्पर्धा दे सकेंगे, जिससे बैंकिंग सेवाएँ और बेहतर और आधुनिक बनेंगी।
साथ ही, ग्राहकों को भी इस Mega Merger Plan का फायदा मिलेगा, क्योंकि बड़े बैंकों के साथ सेवाएँ अधिक मजबूत और सुरक्षित होंगी। डिजिटल बैंकिंग, लोन प्रोसेसिंग, निवेश सुविधाएँ, ग्रामीण बैंकिंग और आधुनिक फाइनेंशियल सेवाएँ और भी आसान होंगी। सरकार के इस कदम से भारत की बैंकिंग व्यवस्था वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बना सकती है।https://newagenda.org/?p=136085
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