किसी गांव में एक किसान रहता था जिसका नाम था रघु। रघु के पास उपजाऊ जमीन, बैल और खेती के सारे औजार मौजूद थे, मगर उसे काम करने से चिढ़ थी।[lazy farmer] वह घंटों अपने पेड़ के नीचे लेटा रहता और आकाश को ताकते हुए सोचता, “क्या ही अच्छा होता अगर बिना कुछ किए फसल खुद-ब-खुद उग जाती।” लोग उसे गांव का [lazy farmer] कहते थे।
उसकी खेती दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। ज़मीन सूखने लगी थी, घास-फूस उगने लगे थे। लेकिन रघु को फर्क नहीं पड़ता था। वह अक्सर कहता, “जब भूख लगेगी तो देखेंगे। अभी तो आराम कर लो।” गांव के दूसरे किसान उसे सलाह देते, “मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता रघु। खेती भी मेहनत माँगती है।” लेकिन रघु हँसते हुए टाल देता।(Hindi moral story)(lazy farmer)
एक दिन गांव में एक साधु बाबा आए। वे लोगों को जीवन की सच्चाई और [life lesson story] सुनाते हुए घूमा करते थे। जब वे रघु के खेत के पास पहुँचे, तो देखा कि वह अपने खेत के बीच में खाट बिछाकर आराम फरमा रहा है।
साधु ने पूछा, “बेटा, खेत में तो कुछ काम नहीं चल रहा। तुम आराम क्यों कर रहे हो?”
रघु बोला, “बाबा, किस्मत होगी तो फसल अपने आप उग जाएगी।”
साधु मुस्कराए और बोले, “बिना बीज बोए फसल नहीं होती। [hard work vs laziness] का अंतर समझो। मेहनत की खाद के बिना सफलता नहीं मिलती।”
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रघु ने फिर भी उनकी बात को मज़ाक में उड़ा दिया।
समय बीतता गया। उसी साल बारिश बहुत कम हुई। गांव के बाकी किसान पहले ही खेत तैयार कर चुके थे, उन्होंने थोड़ी-बहुत फसल निकाल ली। लेकिन रघु का खेत पूरी तरह से बंजर रह गया। अब उसके घर में न अनाज बचा था और न ही पैसे। वह भूखा-प्यासा गलियों में घूमने लगा।
जब उसे मदद की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, तब गांव के लोग मुंह फेरने लगे। “जब समय था तब काम नहीं किया, अब पछताने से क्या होगा?” सबका यही जवाब था।
आख़िरकार भूख से बेहाल होकर रघु उसी साधु बाबा के पास पहुंचा और रोते हुए बोला, “बाबा, आपने मुझे पहले ही आगाह कर दिया था, पर मैंने आपकी बात नहीं मानी। आज मेरी ये हालत है।”(Hindi moral story)(lazy farmer)
साधु बोले, “बेटा, [motivational Hindi story] का मतलब समझना आसान नहीं होता, जब तक खुद पर न बीते। लेकिन अभी भी देर नहीं हुई। अगर अब मेहनत शुरू करोगे, तो हालात जरूर बदलेंगे।”
रघु ने उस दिन से अपनी ज़िंदगी बदलने की कसम खा ली। अगली सुबह सूरज निकलने से पहले वह खेत पर पहुंचा। खुद ही झाड़ी हटाई, खुद ही ज़मीन जोती। उसने किसी से मदद नहीं मांगी, बस अपना काम करता रहा।
दिन-रात की मेहनत रंग लाने लगी। उसके खेत में नमी लौट आई, मिट्टी फिर से उपजाऊ होने लगी। कुछ महीनों बाद उसने बीज बोए और खूब देखभाल की। जब फसल काटने का समय आया, तो रघु की फसल इतनी घनी और सुनहरी थी कि गांव के लोग दंग रह गए।
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गांव वाले अब उसे इज्जत से देखने लगे। “देखो, कैसे [lazy farmer] अब मेहनती किसान बन गया,” कोई बोला। “ये है असली [inspirational tale in Hindi],” दूसरे ने कहा।
रघु ने अपनी गलती से सीखा और अब दूसरों को भी सिखाने लगा। वह बच्चों को बताता, “बेटा, [farm productivity] तब ही बढ़ेगी जब हम मेहनत करेंगे।” लोग उसकी कहानी को एक [Hindi kahani with moral] की तरह दोहराने लगे।
रघु अब केवल खेत में ही नहीं, जीवन में भी सफल था। उसने अपने अनुभव को गांव की बैठकों में साझा करना शुरू किया। उसकी बातें लोगों के दिलों को छू जातीं। “मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता, और आलस्य सबसे बड़ी बीमारी है,” वह हर सभा में कहता।
वह कहानी, जो एक समय [short story in Hindi] बन सकती थी, अब गांव की ज़ुबान पर थी। लोग रघु को एक मिसाल की तरह देखते थे। उसकी कहानी बच्चों की किताबों में छप गई। गांव के स्कूल में हर शिक्षक यह कहानी सुनाता, ताकि अगली पीढ़ी भी [Hindi moral story] से प्रेरणा ले सके।
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और एक दिन जब वही साधु बाबा फिर से गांव आए, रघु ने उन्हें ससम्मान अपने घर बुलाया। उन्हें भरपेट भोजन कराया और कहा, “आपने जो बोला था, वही मेरी ज़िंदगी का मोड़ बन गया।” [lazy farmer]
बाबा ने हँसते हुए कहा, “बेटा, कहानी तो बहुतों को सुनाई जाती है, लेकिन जो उस पर अमल करता है, वही सच्चा विजेता होता है।”[lazy farmer]
रघु की ज़िंदगी का ये मोड़ न सिर्फ उसके लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन गया। उसने सिखाया कि वक्त रहते सीख लेना ही सबसे बड़ी समझदारी है।http://हाथी और कुत्ते की कहानी | Hathi aur Kutte ki Kahani
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