सर्दियों की एक ठंडी और गहरी रात थी। आसमान बादलों से भरा था और दूर-दूर तक सन्नाटा फैला था, जैसे शहर अपनी थकी हुई सांसें समेटकर सो गया हो। लेकिन इस शांत रात में एक लड़का तेज कदमों से चलता जा रहा था—आरव। उसके चेहरे पर गुस्सा था, आंखों में छलकता दर्द था और दिल में एक ऐसी बेचैनी थी, जिसे वह खुद समझ नहीं पा रहा था।
वह घर से निकल आया था। मां से लड़कर। बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे। बस एक भारी बैग, एक टूटा हुआ मन और हाथ में एक पुरानी किताब लिए, जो उसके बचपन की सबसे प्यारी याद थी। मां हर रात उसे यही किताब पढ़कर सुनाती थीं—“सोने से पहले की बातें (bedtime stories in hindi)”।
जब उसने किताब को छुआ तो उंगलियों में मां के स्पर्श जैसी गर्माहट महसूस हुई। वह अनायास रुक गया। आंखें भर आईं, लेकिन उसने आंसू झटक दिए। “अब पीछे नहीं मुड़ सकता,” उसने धीरे से कहा। “मैं साबित करके दिखाऊंगा कि मैं भी कुछ कर सकता हूं।”
लेकिन सच तो यह था कि वह खुद भी नहीं जानता था कि जा कहां रहा है।
शहर की ठंडी हवा उसके चेहरे पर लग रही थी, और दिल में उठते पछतावे की गर्मी, उसे भीतर ही भीतर जला रही थी। उसने एक पुरानी बंद दुकान के बाहर पड़े शेड के नीचे खुद को समेट लिया। पास ही कुछ मजदूर सोए हुए थे। एक परिवार ठंड से कांप रहा था। और इसी अंधेरे में वह खुद को सबसे ज्यादा अकेला महसूस कर रहा था।
उसने मां की दी हुई चादर निकाली, जिसे वह बचपन से ओढ़ता आया था। मां हमेशा कहती थीं, “इस चादर में मेरी दुआएं हैं, जहां भी जाओगे, यह तुम्हें बचाएगी।”
आज वही चादर उसे अपराधी बना रही थी।
क्या उसने सच में मां का दिल दुखाया था?
उसी वक्त एक बूढ़ा आदमी वहां धीमे कदमों से आया। कपड़े फटे हुए, बाल सफेद, आंखों में उम्र और अनुभव की गहराई। उसने आरव को देखा और बोला, “ठंड बहुत है, बेटा। ऐसे में घर की याद ज्यादा आती है, है ना?”
आरव चौंक गया। “आपको कैसे पता?”
बूढ़ा हल्के से मुस्कुराया, “जो लोग रात को घर से बाहर होते हैं, उन्हें भूख नहीं सताती… उन्हें दर्द सताता है।”
उसने बैग से दो सूखे परांठे निकाले।
“ले, खा ले। दिल हल्का हो जाएगा।”
आरव ने परांठा लेते हुए पूछा,
“आप यहां अक्सर आते हैं?”
बूढ़ा हंस पड़ा।
“हां बेटा। मैं उन लोगों का इंतजार करता हूं, जिन्हें किसी न किसी कहानी की जरूरत होती है। क्या तू भी (bedtime stories in hindi) सुनता था?”
आरव की आंखें भर आईं।
“हां… मेरी मां सुनाती थीं।”
“तो एक कहानी मैं सुनाता हूं,” बूढ़े ने कहा,
“शायद तेरे दिल में अटकी बात जवाब बनकर उतर जाए।”
बूढ़ा कहानी सुनाने लगा।
“एक लड़का था, बिल्कुल तुझ जैसा। घर से गुस्से में निकल गया। उसे लगता था मां उसके सपनों को सीमित कर रही है। वह बड़ी दुनिया में जाना चाहता था। पर मां उसे थोड़ा रुकने को कह रही थी। लड़के को लगा कि मां उसकी दुश्मन है। वह चला गया। फिर उसने भूख, ठंड, तन्हाई देखी। दुनिया की असलियत देखी। और एक दिन वह समझ गया —
मां सपने नहीं रोकती, मां गलत रास्ते से बचाती है।
पर जब वह लौटकर आया… उसकी मां जा चुकी थी।”
आरव का दिल जोर से धड़का।
“वह लड़का… कौन था?”
बूढ़ा मुस्कुराया।
“वह लड़का मैं था।”
यह सुनकर आरव सन्न रह गया। बूढ़ा बोला,
“अगर तू मां को दुख देकर निकला है, तो लौट जा… वरना पछताने में देर नहीं लगेगी। मां कभी नाराज नहीं होती। वे सिर्फ इंतजार करती हैं।”
आरव की आंखें भर आईं। उसने तुरंत फोन निकाला—बैटरी बस 2% बाकी। उसने मां का नंबर मिलाया।
पहली रिंग…
दूसरी…
तीसरी…
कोई जवाब नहीं।
फिर अचानक कॉल उठी।
“हेलो… आरव?”
मां की आवाज कांप रही थी।
“मां… मैं आ रहा हूं… प्लीज मुझसे बात करो… मैं गलत था… मैं वापस आ रहा हूं…”
फोन कट गया—बैटरी खत्म।
आरव भाग पड़ा। पूरी रात, अंधेरे में, बिना रुके।
ठंडी हवा, सांसों की आवाज, धड़कनें—सब तेज होती जा रही थीं।
दिमाग में एक ही डर—
“कहीं देर न हो जाए…”
जब वह घर पहुंचा तो दरवाजा खुला था।
घर बिल्कुल शांत।
वह कांपते कदमों से मां के कमरे में गया।
मां बिस्तर पर लेटी थीं।
चेहरा शांत… बहुत शांत।
जैसे वह उसका इंतजार करते-करते थक गई हों।
आरव भागकर उनके पास बैठा।
“मां… मां… मैं आ गया… मां!”
मां ने धीरे से आंखें खोलीं।
“तू आ गया… मुझे पता था तू आएगा…”
उनकी आवाज बहुत धीमी थी।
कमजोर… टूटती हुई।
“मां… मुझसे गलती हो गई… मुझे माफ कर दो…”
आरव उनके हाथ से लिपट गया।
मां ने कमजोर उंगलियों से उसके गाल छुए।
“मां कभी अपने बच्चे से नाराज़ नहीं होती… तू मेरा गर्व है… मेरी सबसे प्यारी कहानी… मेरी ज़िंदगी की (bedtime stories in hindi)…”
उनकी आवाज धीमी होती गई…
सांसें हल्की होती गईं…
और वह हमेशा के लिए सो गईं।
आरव की चीख पूरे घर में गूंज उठी।
वह मां को हिलाता रहा… पुकारता रहा…
लेकिन मां अब सिर्फ उसकी यादों में थीं।
फर्श पर एक चिट्ठी पड़ी थी—
“मेरे बेटे आरव के लिए।”
चिट्ठी में लिखा था—
“बेटा,
तू परेशान है, इसलिए मैंने तुझे रुकने को कहा।
मैं चाहती थी कि तू दुनिया को समझकर आगे बढ़े।
दुनिया आसान नहीं है, पर तू मजबूत है।
जब भी हिम्मत टूटे, मेरी कहानियां पढ़ लेना—(bedtime stories in hindi)।
याद रखना, तू मेरा गर्व है।
हमेशा रहेगा।
— तुम्हारी मां”
आरव फूट-फूटकर रो पड़ा।
उस रात उसने सिर्फ मां को नहीं खोया…
उसने अपनी बचपन की दुनिया खो दी।
लेकिन उसी रात से उसने एक नई जिंदगी शुरू की।
जिसे मां ने अपनी चिट्ठी में लिख दिया था। उसने नौकरी की। पढ़ाई की। संघर्ष किया। भटके बिना चला।
सालों बाद वह एक सफल इंजीनियर बना।
हर इंटरव्यू में लोग उससे पूछते,
“आपकी सफलता का राज क्या है?”
वह मुस्कुराकर कहता—
“मेरी मां… और उनकी (bedtime stories in hindi)।”
एक दिन वह उसी जगह गया, जहाँ बूढ़ा मिला था।
पर वहां कोई बूढ़ा नहीं था।
लोगों ने कहा—
“यहां तो कभी कोई बूढ़ा आता ही नहीं।”
आरव मुस्कुरा दिया।
“शायद मां ने ही मुझे रास्ता दिखाने के लिए उसे भेजा था।”
उस रात आसमान में एक तारा चमक रहा था।
आरव ने उस तारे को देखकर धीरे से कहा—
“मां… मैं हमेशा आपकी कहानी रहूंगा… हमेशा।”
हवा चली…
और मानो किसी ने फुसफुसाकर कहा—
“गुड नाइट बेटा…”https://www.kahanizone.com/hindi-story/childrens-night-stories/#google_vignette
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